Home Uncategorized बिजली वितरण के निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाय : अजय बाबर

बिजली वितरण के निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाय : अजय बाबर

धमतरी|  छ.रा.वि.कर्म.जनता यूनियन  के प्रांतीय महासचिव अजय बाबर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया की ऑल इण्डिया विद्युत कामगार से सम्बद्ध छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कर्मचारी जनता यूनियन ने केन्द्रीय शासन को आगाह किया है की यदि कोविड -19 महामारी की आड़ में बिजली वितरण के निजीकरण का निर्णय वापस न लिया गया तो नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉयीज एन्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर देश भर के तमाम 15 लाख बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन प्रारम्भ करने के लिए बाध्य होंगे।

केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने के वायदे को खारिज करते हुए जनता यूनियन ने कहा है कि वस्तुतः निजीकरण किसानों और आम घरेलू उपभोक्ताओं के साथ धोखा है और निजीकरण के बाद बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी। कोविड -19 संक्रमण के दौरान लाकडाउन का फायदा उठाते हुए निजीकरण करने की निंदा करते हुए जनता यूनियन ने इसे देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया है |विगत दिनों केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा विद्युत् वितरण के निजीकरण की घोषणा में कहा गया है कि नई टैरिफ नीति में सब्सिडी और क्रास सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी और किसी को भी लागत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी | जनता यूनियन ने बताया कि अभी किसानों, गरीबी रेखा के नीचे और 500 यूनिट प्रति माह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलती है जिसके चलते इन उपभोक्ताओं को लागत से कम मूल्य पर बिजली मिल रही है | अब नई नीति और निजीकरण के बाद सब्सिडी समाप्त होने से स्वाभाविक तौर पर इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी |
बिजली की लागत का राष्ट्रीय औसत रु 06.73 प्रति यूनिट है और निजी कंपनी द्वारा एक्ट के अनुसार कम से कम 16 % मुनाफा लेने के बाद रु 08 प्रति यूनिट से कम दर पर बिजली किसी को नहीं मिलेगी | इस प्रकार एक किसान को लगभग 6000 रु प्रति माह और घरेलू उपभोक्ताओं को 6000 से 8000 रु प्रति माह तक बिजली बिल देना होगा | उन्होंने कहा कि निजी वितरण कंपनियों को कोई घाटा न हो, इसीलिये सब्सिडी समाप्त कर प्रीपेड मीटर लगाए जाने की योजना लाई जा रही है | अभी सरकारी कंपनी घाटा उठाकर किसानों और उपभोक्ताओं को बिजली देती है | उन्होंने कहा कि सब्सिडी समाप्त होने से किसानों और आम लोगों को भारी नुक्सान होगा जबकि क्रास सब्सीडी समाप्त होने से उद्योगों और बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को लाभ होगा |
उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि निजीकरण का निर्णय व्यापक जनहित में वापस लिया जाये अन्यथा बिजली कर्मी आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
,

error: Content is protected !!
Exit mobile version