
“बच्चों के उज्जवल भविष्य निर्माण में आयुर्वेद का वरदान” थीम पर हुआ आयोजन, महापौर श्री रामू रोहरा ने किया स्वर्ण प्राशन संस्कार का शुभारंभ
धमतरी | बाल दिवस के अवसर पर आयुष विभाग जिला धमतरी द्वारा “बच्चों के उज्जवल भविष्य निर्माण में आयुर्वेद का वरदान” थीम पर विशेष स्वर्ण प्राशन संस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम शहर के सरस्वती शिशु मंदिर में उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महापौर श्री रामू रोहरा ने एक बालिका को स्वर्ण प्राशन का सेवन कराकर आयोजन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर जन्म से लेकर 16 वर्ष तक के लगभग 1000 बच्चों को स्वर्ण प्राशन कराया गया। मुख्य अतिथि श्री रोहरा ने सभी बच्चों को बाल दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि स्वर्ण प्राशन एक प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति है, जो बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, बुद्धि एवं स्मरण शक्ति में सुधार, पाचन शक्ति के संतुलन तथा मानसिक व शारीरिक विकास में अत्यंत सहायक है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के इन लाभों का एहसास बच्चों को बड़े होने पर अधिक गहराई से होगा और यह समझ में आएगा कि आयुर्वेद कितनी प्रभावशाली चिकित्सा पद्धति है। कार्यक्रम की सफलता पर महापौर श्री रामू रोहरा ने आयुष विभाग को बधाई देते हुए आगे भी जिले में ऐसे शिविर आयोजित करने हेतु 1 लाख रुपये की घोषणा की, ताकि अधिक से अधिक बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक आयुर्वेदिक सेवाओं का लाभ मिल सके। इस अवसर पर डॉ. श्री पचौरी ने विभागीय प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि स्वर्ण प्राशन में शुद्ध स्वर्ण के साथ गोघृत, शहद, अश्वगंधा, ब्राह्मी, वचा, गिलोय और शंखपुष्पी जैसी औषधियों का उपयोग किया जाता है। यह पूर्णतः सुरक्षित है एवं बच्चों को सर्दी, जुकाम और मौसमी बीमारियों से बचाने में कारगर सिद्ध होता है। इसी क्रम में स्कूल प्राचार्य श्रीमती साहू ने विद्यालय की गतिविधियों एवं सहयोग के संबंध में जानकारी दी। इस अवसर पर नगर निगम की सभापित श्रीमती कौशिल्या देवांगन, डिप्टी कलेक्टर श्रीमती कल्पना ध्रुव, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती जगरानी एक्का, बीईओ श्री एलडी चौधरी, सरस्वती शिशुमंदिर के अध्यक्ष डॉ प्रदीप शर्मा, डा चंद्राकर, प्राचार्य सरस्वती शिशु मंदिर श्रीमती खेमिन साहू के अलावा पार्षदगण, शिक्षक-शिक्षिकायें व स्कूली बच्चे उपस्थित थे। कार्यक्रम ने बाल दिवस को आयुर्वेदिक स्वास्थ्य जागरूकता के रूप में सार्थक बनाते हुए जिले में स्वस्थ बचपन और उज्जवल भविष्य का संदेश दिया।





