
सफलता की कहानी बाला कांसेप्ट से संवर रहा नन्हें बच्चों का भविष्य, चित्रों से सजी दीवारें, बच्चों को दे रही सीख, बाला कांसेप्ट पर बना अमलीडीह का नवीन आंगनबाड़ी भवन
धमतरी | जिले के मगरलोड विकासखंड की ग्राम पंचायत अमलीडीह स्थित नवीन आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों की चहल-पहल देखते ही बनती है। दीवारों पर बने रंग-बिरंगे शिक्षाप्रद चित्र, अक्षर, संख्याएं, फल-फूल, जानवर और सांस्कृतिक प्रतीक बच्चों को न सिर्फ आकर्षित कर रहे हैं, बल्कि उनके शैक्षणिक और मानसिक विकास में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। यह बदलाव बाला कांसेप्ट के तहत हुआ है, जिसमें भवन की दीवारों और जमीन को बच्चों के लिए शिक्षण उपकरण में बदला गया है। ये वही बाला कांसेप्ट है जहां भवन ही शिक्षक बन गया है। बाला कांसेप्ट यानी भवन को शिक्षा के लिए माध्यम बनाना। अमलीडीह आंगनबाड़ी की दीवारों पर अंग्रेजी और हिंदी वर्णमाला, गणित की संख्याएं, रंग पहचान, पर्यावरण चित्र, शरीर के अंग, स्वच्छता संदेश और छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति से जुड़े चित्र बनाए गए हैं। जमीन पर खेल आधारित लर्निंग जैसे-गिनती, रंग वर्गीकरण, दिशा ज्ञान आदि बनाए गए हैं। इसी से बच्चों का आकर्षण और सीखने की रुचि बढ़ी हुई है। बच्चों में इन चित्रों के प्रति उत्साह और लगाव साफ-साफ दिखाई देता है। अब 3 से 6 वर्ष के बच्चे चित्र देखकर वर्ण पहचानते हैं। रंग-बिरंगे जानवर, फल-फूल, पक्षी उन्हें सहज रूप से वर्णन करना और बोलना सिखा रहे हैं। कई बच्चे अब चित्र देखकर ही हिंदी-अंग्रेजी वर्णमाला गाने लगे हैं। ग्राम पंचायत अमलीडीह की सरपंच श्रीमती जितेन्द्री कांशी ने बताया कि वार्ड क्रमांक 4 स्कूल पारा में नवीन आंगनबाड़ी भवन निर्माण के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 08 लाख रूपये, अभिसरण की राशि 15 वें वित्त से 1.69 लाख रूपये, महिला एवं बाल विकास विभाग से 2 लाख रूपये कुल 11 लाख 69 हजार रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति से निर्मित किया गया है। नवीन आंगनबाड़ी का क्षेत्रफल 11.60 मीटर लंबाई एवं 9.85 मीटर चैड़ाई है। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी बच्चों का दूसरा घर है। यह आंगनबाड़ी भवन गांव के नन्हें बच्चों का भविष्य गढ़ने वाला केन्द्र है। अब मगरलोड के अन्य गांवों में भी बाला कांसेप्ट को अपनाने की तैयारी हो रही है, जिसमें किचन गार्डन भी बनाये जायेंगे। इनमें आंगनबाड़ी के साथ-सानिवागांव, सोनामगर, बेलरगांव जैसे गांवों के कार्यकर्ता अमलीडीह के केंद्र का दौरा कर चुके हैं। यह इस केन्द्र की बड़ी उपलब्धि है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती हेमलता यादव बताती हैं कि पहले बच्चे आकर खेलकर चले जाते थे। अब वे दीवारों को देखकर खुद से सीखते हैं। चित्र उन्हें बांधकर रखते हैं, अब बच्चे ही नहीं पालक भी आंगनबाड़ी से जुड़ाव महसूस कर रहे हैं। पालक खुद आकर देखते हैं की उनका बच्चा क्या सीख रहा है। चित्रों, रंगों और शिक्षाप्रद गतिविधियों ने पालकों का भरोसा बढ़ाया है। सीईओ जिला पंचायत सुश्री रोमा श्रीवास्तव ने बताया कि अमलीडीह का यह आंगनबाड़ी केंद्र पूरे विकासखंड के लिए एक मॉडल बन गया है। बाला कांसेप्ट के जरिए छोटे बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति स्वाभाविक बनती जा रही है।