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बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए माताएं हुईं संगठित

नगरी । विकासखण्ड मगरलोड के संकुल सिंगपुर ,खड़मा तथा सोनझरी क्षेत्र के दस गांव  की पांच सौ माताओं ने संकुल प्राचार्य डॉ व्ही. पी. चन्द्रा ,शिक्षक तथा बच्चों के आह्वान तथा आमंत्रण  पर स्वामी आत्मानन्द उत्कृष्ट विद्यालय सिंगपुर में उपस्थित होकर न केवल वर्तमान शिक्षा में आने वाली बाधाओं को  जाना समझा  बल्कि बच्चों की शिक्षा दीक्षा में मातृ शक्ति की भूमिका को प्रभावी बनाने हेतु रचनात्मक भागीदार बनने हेतु संकल्प भी लिया। ज्ञात हो कि इस कार्यक्रम में दस-पन्द्रह किलोमीटर दूर से माताओं ने उपस्थिति दी। सिंगपर के अतिरिक्त, अंजोरा,मुड़केरा, रावतमुड़ा,गिरहोला,कमईपुर, घनोरा,केकराखोली,कासवाही,सोनझरी,बासीखाई गांव की माताएं उपस्थित हुई। उपस्थित माताओं के चेहरे पर एक उत्साह का भाव था कि वे अपने बच्चों की शिक्षा हेतु जो भी सम्भव है जरूर करेंगी। ज्ञात हो कि माताओं की उपस्थिति हेतु एक सप्ताह से शिक्षक तथा बच्चों की टीम लगातार योजनाबद्ध तरीके से घर घर जाकर आमंत्रण देने का काम कर रही थी जिसके कारण इतनी सारी माताओं ने उपस्थिति दी।

उत्कृष्ट विद्यालय में माताओं की उपस्थिति के बीच चर्चा का दौर प्रारम्भ हुआ। सबसे पहले समग्र शिक्षा जिला धमतरी से पधारे डी.एम.सी.देवेश सूर्यवंशी ने कहा कि शिक्षा में मातृ शक्ति की बड़ी भूमिका है। माताएं न केवल घर परिवार में संस्कार,नैतिकता की शिक्षा दे सकती है अपितु बच्चों को सामाजिक जीवन की भी शिक्षा दे सकती है। उन्होंने बच्चों में घटते संस्कार पर चिंता जाहिर करते हुए माताओं को आह्वान किया कि वे घर परिवार में एक संवाद ,चर्चा परिचर्चा की संस्कृति को शुरू करें। ऐसा करने से बच्चे संस्कारित होकर सामाजिक बनेंगे। उनका मन भी पढ़ाई में लगेगा।बच्चों को प्यार नहीं मिलने पर बच्चे गलत राह पकड़ते हैं। लक्ष्मण राव मगर सहायक संचालक ने माताओं से चर्चा करते हुए कहा सिंगपर की धरती पर माताओं की यह पहल न केवल प्रदेश के लिए अपितु देश के लिए एक अनूठी  पहल साबित होगी। उन्होंने बच्चों को नियमित स्कूल भेजने के साथ साथ बच्चों के सीखने सिखाने पर  विद्यालय के शिक्षकों से बातचीत पर जोर दिया। जिला तथा प्रदेश की माताओं के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किये गए अनेक उदाहरणों के माध्यम से माताओं को आह्वान किया कि विद्यालय उनके सहयोग से ही बेहतर शिक्षा उपलब्ध करा सकता है। घर परिवार के सहयोग से ही बच्चे दुनिया में आगे बढ़ सकते हैं। अत: पारिवारिक वातावरण को भी अनुकूल बनाया जाए ताकि बच्चे घर पर भी जीवनोपयोगी बातों को समझ सकें। उपस्थित माताओं में से सफीना बानों ने चर्चा में भाग लेते हुए इस बात पर जोर दिया कि विद्यालय में सीखने सिखाने का वातावरण तैयार करने की जिम्मेदारी केवल विद्यालय प्रशासन की नहीं है अपितु उनकी भी है। बच्चों को पीने का साफ पानी,साफ शौचालय,खेलकूद की सामग्री,वाचनालय की सुविधा उपलब्ध कराने में माताएं बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। उमेश्वरी ध्रुव,मीना मरकाम,हेमा ध्रुव,सुनीता ध्रुव,पद्मिनी कौशल ,विमला यादव , यामिनी यादव,दीप्ति ग्वाल,बिंदा कुंजाम, सुरेखा,देवली साहू ने चर्चा में माताओं की निष्क्रिय भूमिका पर चिंता जाहिर कर कहा कि समय रहते बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नहीं देने का परिणाम बहुत घातक होता है। अत: न केवल घर पर बल्कि समय समय पर विद्यालय आकर कक्षा शिक्षक से बच्चों की प्रगति पर बातचीत करनी जरूरी है। विद्यालय में बच्चों की जरूरतों को पूरा करने का संकल्प भी इन महिलाओं ने लिया। माँ भी स्कूल आएगी ,इस अनूठी पहल पर विद्यालय परिवार को सभी माताओं धन्यवाद देते हुए भविष्य के किसी भी पहल पर सहयोग का वचन दिया। संस्था के प्राचार्य ने चर्चा करते हुए देश विदेश से सैकड़ों उदाहरण देते हुए कहा कि बच्चों को जन्म देने वाली मां को प्रथम गुरु एवम परिवार को प्रथम पाठशाला का दर्जा देने के पीछे यही कारण है कि ये दोनों जो काम कर सकते हैं दुनिया की कोई ताक़त नहीं कर सकती। जेम्स वाट, थॉमस अल्वा एडिशन, ए पी जे अब्दुल कलाम को महान बनाने के उदाहरणों से हर माँ को प्रेरणा लेनी चाहिए। यदि बचपन मे माँ बच्चों को एक बार संस्कार दे दे फिर बच्चा कहीं भी जाये नहीं बिगड़ सकता। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस पर बहुत जोर दिया गया है जिसके लिए बच्चों को कहानी सुनाने की जरूरत है। हर बच्चे भक्त प्रह्लाद बन सकते हैं बशर्तें हर माँ कयाधू बन जाये। प्राचार्य ने माताओं को एक समृद्ध वाचनालय की स्थापना के लिए आह्वान किया ताकि ग्रामीण क्षेत्र के हर गरीब किसान के बच्चे महंगे कोचिंग की अपेक्षा विद्यालय की समृद्ध लाइब्रेरी से अध्ययन कर शासकीय सेवा के अतिरिक्त,व्यापार,खेल,कृषि,संगीत,नृत्य,गायन एवम सामाजिक सेवा के क्षेत्र में जाएं। विद्यालय को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप  सामाजिक चेतना का केंद्र बनाने हेतु आह्वान किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ऐरावती ग्वाल ने बच्चों को गलत मार्ग से बचकर शिक्षा ग्रहण पर जोर दिया। सरिता साहू ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विद्यालय द्वारा किये गये पहल की सराहना कर उपस्थित माताओं के सहयोग से एक समृद्ध वाचनालय हेतु त्वरित पहल का आश्वासन दिया। इस अनुकरणीय कार्यक्रम में उपस्थित सभी माताओं ने प्राचार्य द्वारा प्रस्तुत सात वचनों को शत प्रतिशत पालन करने का संकल्प लिया-1.तन मन धन से विद्यालय को सहयोग देना। 2.बच्चों को नियमित विद्यालय भेजकर सीखने सिखाने पर बात करना । 3.कहानी या अन्य माध्यम से संस्कार एवम सदाचार की सीख देना।4.बच्चे के जन्म दिन पर विद्यालय आकर एक पुस्तक भेंट करना। 5. बच्चों को सदैव आगे बढऩे का अवसर प्रदान करना । 6.कर्तव्य परायण एवम श्रम की प्रायोगिक शिक्षा देना । 7. रोज बच्चों की प्रगति पर निगरानी रखते हुए विद्यालय से मधुर सम्बन्ध बनाना।
उपरोक्त सात वचनों को माताओं ने एक मतेन निभाने का संकल्प लिया। इधर अपनी माताओं के साथ बैठे बच्चों ने  अच्छे के लिये जिद करेंगे, गलत राह पर नहीं चलेंगे  नारों के साथ     संस्कारी बनने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में उपस्थित पालक नवीन बागड़े ने पर्यावरणीय शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु सौ नग गमला तथा सौ नग पौधा तथा सेवा निवृत्त व्याख्याता हेमलाल साहू ने विद्यालय को ज्ञानवर्धक फ्लैक्स देने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का समापन गांव में विशाल विशाल रैली के बाद समापन सभा में गूंजने वाले इस नारे के साथ किया गया  स्कूल सरकारी हे नांव के,असल म हे हर गांव के।
इस तरह से माताओं ने हमर गाँव, हमर लईका, हमर विद्यालय, हमर जिम्मेदारी के भाव को समझा। सिंगपुर के इस विद्यालय में आने वाले दिनों में  नवयुवक,नवयुवतियों तथा पालकों से भी बातचीत की योजना बना ली गई है। कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के समस्त शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी रही।

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