सफलता की कहानी
पोटियाडीह के स्वसहायता समूह की महिलाओं ने बेची एक लाख रूपए से अधिक की जैविक सब्जियां
मिश्रित फलदार पौधों से न सिर्फ जमीन हरीतिमा हुई, बल्कि अतिक्रमणमुक्त भी हुई
धमतरी | मनरेगा और विभागीय योजनाओं के अभिसरण से ग्रामीण विकास और रोजगार सृजन की नायाब इबारतें लिखी जा रही हैं। ऐसा ही काम ग्राम पंचायत पोटियाडीह में हुआ जहां इस गांव में पंचायत ने साल 2019-20 में मनरेगा के तहत मिश्रित फलदार पौधरोपण कर हरियाली और खुशहाली की जो नींव रखी थी, वह अब फलीभूत होने लगी है। पिछले छह महीनों में (जिसमें वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण लागू देशव्यापी लॉक-डाउन भी शामिल है) समूह की महिलाओं ने एक लाख रूपए से अधिक की साग-सब्जियां बेचकर न सिर्फ स्वावलम्बन हासिल कर ली है, वहां की अतिक्रमित हो चुकी जमीन को भी अतिक्रमण से मुक्त कराने में अपनी भूमिका निभाई। सब्जियों का जैविक विधि से उत्पादन किए जाने के कारण इनकी काफी मांग है। इसके अलावा समूह की महिलाएं गौठान में पशुओं के लिए नेपियर घास भी उगा रही हैं।
पंचायत द्वारा मनरेगा और गौण खनिज मद के अभिसरण से किए गए इस काम से गांव की तीन एकड़ सरकारी जमीन अतिक्रमण से सुरक्षित तो हुई ही, ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार का जरिया भी मिला। पोटियाडीह के तीन स्वसहायता समूहों की महिलाएं यहां अंतरवर्ती फसलों के रूप में अलग-अलग किस्म की सब्जियां उगा रही हैं। पोटियाडीह में महात्मा गांधी रोजगार गारण्टी योजना के तहत पिछले साल तीन एकड़ शासकीय भूमि में आम, कटहल, मुनगा, आंवला, नींबू, केला, जामुन, सीताफल, बेर, अमरूद और पपीता के कुल 375 पौधे रोपे गए थे। इस काम में 68 ग्रामीणों को सीधे रोजगार मिला था जिनमें 25 महिलाएं और 43 पुरुष भी शामिल थे। पौधों की सुरक्षा एवं संवर्द्धन के लिए यहां गौण खनिज मद से फेंसिंग पोल व तार, बोर व पम्प, पाइपलाइन विस्तार, गेट निर्माण, नाडेप टांका निर्माण, लेबलिंग सहित अन्य कार्य कराए गए।
पंचायत ने इस मिश्रित फलदार पौधरोपण वाली जगह को सब्जी की खेती के लिए गांव की तीन स्वसहायता समूहों को दिया है। वे यहां जैविक विधि से सब्जी उत्पादन और उन्हें बेचने का काम कर रही हैं। पिछले छह महीनों में जिसमें लॉक-डाउन के करीब तीन महीने भी शामिल हैं, तीनों समूह की महिलाओं ने पांच क्विंटल लौकी, चार क्विंटल कद्दू, चार क्विंटल चेंच भाजी, तीन क्विंटल अमारी भाजी, डेढ़ क्विंटल कांदा भाजी, दो क्विंटल बरबट्टी, दो क्विंटल भिण्डी, चार क्विंटल जरी, एक क्विंटल करमत्ता भाजी, दो क्विंटल गलका, 80 किलो करेला, 120 किलो कुंदरु, एक क्विंटल लाल भाजी और तीन क्विंटल बैंगन का उत्पादन किया है। लॉक-डाउन के बीच कठिन परिस्थितियों में भी इन महिलाओं ने लगभग साढ़े 34 क्विंटल सब्जी बेचकर एक लाख रुपए से अधिक की कमाई की है।
पोटियाडीह के सरपंच श्री खम्हनलाल ध्रुव ने बताया कि धमतरी जिला मुख्यालय के नजदीक होने के कारण गांव की शासकीय भूमि को अतिक्रमण से बचाना बहुत बड़ी चुनौती थी। ग्राम पंचायत ने मनरेगा के माध्यम से पौधरोपण कर इसे सुरक्षित करने का फैसला लिया। वर्ष 2019-20 में करीब तीन एकड़ भूमि पर आठ लाख 84 हजार रूपए की लागत से दस प्रजातियों के फलदार पौधे लगाए गए। इनमें तीन लाख 82 हजार रूपए मनरेगा से और चार लाख 47 हजार रूपए गौण खनिज मद से खर्च किए गए।
उन्होंने आगे बताया कि गांव की जमीन को बचाने और हरियाली लाने के लिए कराया गया यह कार्य रोजगार और स्वरोजगार की दृष्टि से भी फायदेमंद रहा। यहां पौधरोपण और दो डबरियों के निर्माण से गांव के 54 परिवारों को कुल 1630 मानव दिवस का रोजगार मनरेगा से मिला था। वहीं अब यह गाँव के तीन समूहों शाकम्भरी स्वसहायता समूह, लक्ष्मी महिला कमांडो स्वसहायता समूह और नवजागृति स्वसहायता समूह की महिलाओं के लिए आजीविका का स्थायी साधन बन गया है। आने वाले समय में यहां लगाए गए फलदार पौधे भी आर्थिक लाभ का जरिया बनेंगे। महिलाओं द्वारा यहां सब्जी की खेती से पौधों की भी सुरक्षा हो रही है, वहीं गांव में हरियाली के साथ-साथ पर्यावरण भी पहले की अपेक्षा स्वच्छ व स्वस्थ हो गया है।