
विचारशील व्यक्ति वहीं होता जिसमें विनय, विवेक, विनती, सम्पूर्ण विद्या का ज्ञान हो – प. पू. सुमित्रा श्री जी म. सा.
धमतरी । चातुर्मास के तहत इतवारी बाजार स्थित पार्श्वनाथ जिनालय में प्रवचन जारी है। जिसके तहत आज आचार्य भगवंत परम पूज्य पूर्णानंद सागर सूरीश्वर जी म. सा. ने कहा कि आज के दौर में मानव श्रेष्ठ बनते बनते सेठ बन जाते है। मानव जीवन में साधना के द्वारा आत्मा का कल्याण किया जा सकता है। मानव जीवन को श्रेष्ठ माना जाता है। लेकिन यह विचारनीय है कि हमने ऐसा क्या किया कि मानव जीवन को श्रेष्ठ माना जाता है? क्या हमने किसी का उपकार किया? क्या किसी का घर बसाया? किसी की मदद की? इस पर जरुर विचार करें। हम अपने घरो, दुकानो में कार्य करने लोगो को रखते है इसके एवज में उन्हें पैसे देते है इसका मतलब यह नहीं कि उनके जीवन पर हमारा अधिकार है। विचार करे हमारे में क्या है जो हम श्रेष्ठ कहलाते है। हमारे विचार, संस्कार श्रेष्ठ नहीं है। क्या हम सभी को अपने समकक्ष समझते है? हम पुरुषार्थ करना छोड़ भाग्य के भरोसे बैठ जाते है।
यदि पुरुषार्थ करते रहे तो प्रयास में सफलता अवश्य मिलती है। पुरुषार्थ के बिना लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो सकती। किस प्रकार हमारी दिनचर्या हो, आचरण, बर्ताव कैसे हो इस पर विचार अवश्य करें। प. पू. सुमित्रा श्री जी म. सा. ने कहा कि विनय है तो विद्या का वृक्ष होता है विद्या नहीं हो तो ज्ञान नहीं होता और सम्मित न तो मोक्ष नहीं मिलता। अभिमान शत्रु को विनय से परास्त किया जा सकता है। यदि अभिमान है तो ज्ञान नहीं आता। विचारशील मनुष्य ही होता है पशुओ में विचार व तर्क की क्षमता नहीं होती। विचारशील व्यक्ति वहीं होता जिसमें चार वि होता है। विनय, विवेक, विनती, सम्पूर्ण विद्या का ज्ञान हो। विवेक से हमे क्या करना है क्या नहीं करना है। इसका ज्ञान प्राप्त होता है यह गुरुओ से मिलता है। सम्पूर्ण ज्ञान में 45 आगमो, पुरुषो की 74 कलाएं, महिलाओं की 64 कलाएं शामिल है। कई बार सवाल उठता है कि गुरु के प्रति शिष्य का अनुशासन व समर्पण से क्या मिलता है। इसका ज्ञान उत्तराध्ययन सूत्र के प्रथम अध्याय में है। गुरु से ज्ञान अर्जित करने पर शिष्य तीनो लोक में पूज्यनीय होता है मोक्ष का भागी होता है। प्रवचन का श्रवण करने बड़ी संख्या में जैन समाजजन उपस्थित रहे।
भगवान नेमिनाथ के जन्मकल्याणक महोत्सव पर 2 को होंगे विविध आयोजन
2 अगस्त को जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ के तत्वाधान में चातुर्मास व्यवस्था समिति द्वारा भगवान नेमिनाथ के जन्मकल्याणक महोत्सव पर परमात्मा के चरित्र पर आधारित फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता रात्रि 7.30 बजे श्री पाश्र्वनाथ जिनालय इतवारी बाजार में रखा गया है। प्रतियोगिता 2 वर्ग में रखी गई है । ए वर्ग में 5 से 13 वर्ष, बी वर्ग में 13 वर्ष से उपर के आयु वाले प्रतिभागी हिस्सा ले सकते है। वहीं महोत्सव पर बधाई कार्ड बनाओं प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जायेगा। जिसमें भगवान नेमिनाथ परमात्मा से जन्मकल्याणक पर बधाई कार्ड बनाये जाएंगे।