
धमतरी | सिहावा चौक स्थित जैन स्थानक भवन में महासती डॉ श्री बिंदुप्रभा जी म.सा. ठाणा 2 द्वारा मंगल प्रवचन दिया जा रहा है। जिसके तहत आज उन्होने कहा कि कर्म आने के पांच रास्ते है जिनमें मिथ्यात्म, अवृत्ति, प्रमाद, कसाय, अशुभयोग है। जिनमें अशुभ योग का वर्णन बताया जा रहा है। अशुभ योग का अर्थ होता है मन, वचन काया से बुरे विचार व प्रक्रिया को निकालना है। मन से कर्मो का बंधन होता है और मन से ही कर्मो का बंधन टूटता है। अशुभ योग, से पापों का बंध होता है। जिससे हमारी आत्मा मलीन हो उसे पाप कहते है। शुभयोग, जहाँ पर पुण्य का अर्जन होता है उसे शुभ योग कहते हैं। जिससे हमारी आत्मा पवित्र हो उसे पुण्य कहते है। जिस प्रकार सोने को तपाने से उसका निखार बढ़ता है। उसी प्रकार आत्मा को तपरूपी साधना से तपा ले तो हमारी आत्मा का भी कल्याण हो सकता है। व्युत्सर्ग का अर्थ शरीर के प्रति ममत्व (ममता) का त्याग करना, शरीर नश्वर है। रोगो का देह है। शरीर के प्रति असक्ति नहीं रखना।
शरीर पुदगल है। पुदगल का स्वभाव सडऩा-गलना, विध्वंसन होता है। इसलिए काया के प्रति अनासक्ति रखनी चाहिए। योग, मन, वचन व काया की प्रवृत्ति को आत्मा से जोडऩा है। योग दो प्रकार के होता है अशुभ योग, शुभ योग। योग एंजेट की तरह कार्य करता है जिस प्रकार एक एजेंट लोगों को कंपनी से जोड़ता है ठीक उसी प्रकार योग कर्म बंधनो को आत्मा से जोड़ता है। मन की चाल घोड़े की चाल से भी तीव्र होती है। उन्होने आगे कहा कि जिस प्रकार सरोवर स्वयं के लिए नहीं बल्कि संसार के प्राणियो की प्यास बुझाने के लिए बहता है। तरवर अर्थात तरू (वृक्ष) स्वयं अपने लिए नहीं बल्कि राहगीरों को छाया प्रदान करता है। उसके फल भी दूसरे के लिए ही है। संत सतीजनगण घर का त्याग करके दूसरो के हित के लिए संयम जीवन धारण करते है। लोगों को जाग्रत करने के लिए संतजन बनते है। और मेघ भी दूसरो के लिए वर्षा करते है। जिस प्रकार परोपकार करने के लिए यह सभी कार्य करते है उसी प्रकार मनुष्य को भी अपने जीवन में दया भाव व सरलता रखते हुए परोपकार के कार्य करने चाहिए उसी से आत्मा का कल्याण होगा। प्रवचन का श्रवण करने बड़ी संख्या में जैन समाजजन उपस्थित रहे।
सुनीता गोलछा का तेला पूर्ण, जस्सी बैद ने लिया तेले का प्रख्यान, 8 को सामुहिक एकासना
चातुर्मास के तहत तप तपस्याओं का दौर जारी है। जिसके तहत सुनीता गोलछा ने तेला पूर्ण किया। जस्सी बैद ने तेले के क्रम में तेले का प्रख्यान लिया। निरंतर तेले का क्रम जारी है। अब तक 16 तेले पूर्ण हो चुके है। 11 पटघर आचार्य पूज्य श्री शुभचंद म.सा. के जन्मजयंती पर 8 अगस्त को बोहरा परिवार की ओर स्थानक भवन में सामुहिक एकासने का आयोजन किया जाएगा। जिसमें बड़ी संख्या में समाजजनों की उपस्थिति की अपील की गई है।