
धमतरी । सिहावा चौक स्थित जैन स्थानक भवन में महासती डॉ श्री बिंदुप्रभा जी म.सा. ठाणा 2 द्वारा मंगल प्रवचन दिया जा रहा है। जिसके तहत उन्होने कहा कि ज्ञानी प्रभु कहते हैं कर्मो से डरो। कर्म करना आसान है। बंधन करने के पश्चात् हम चाहते हैं कि कैसे रन कर्मो से छुटकारा पाएं। जिनवाणी सुनकर हम कर्मों का क्षय कर सकते हैं। जीवन में धर्म को अपनाना है। तो ज्ञानी प्रभु कहते है जीवन में श्रद्धा का मजबूत होना जरूरी है। क्रोध से प्रीति का नाश होता है। क्रोध का निवास स्थान मस्तिष्क है। क्रोध आने से सद्विचार बुरे विचारो में परिवर्तित हो जाता है। क्रोध आने से खून में उबाल आता है। आँखे लाल हो जाती है। क्रोध से हँसी लुप्त हो जाती है। ज्ञानीप्रभु कहते है बड़ो की इज्जत करते है तो तो मान व ज्ञान बढ़ेगा। जीवन में महत्वपूर्ण दौलत दुआएं हैं। बड़ों को प्रणाम करने से शुभ आशीर्वाद मिलता है। जिसके भीतर ऊर्जा रहती है। बड़ों का सम्मान करने से जीवन महान बनता है। कर्म के उदय से जीव उच्च गोत्र व नीच गोत्र का बंध करता है। गोत्र कर्म के कारण जीव अहंकार करता है। जाति, कुल, मद आदि का घमण्ड नहीं करने से उच्चगोत्र का बंध होता है। अहंकार आत्मा का कुपोषण व नमस्कार आत्मा का सुपोषण है। रावण के मरणासन्न स्थिति में लक्ष्मण उनके पास आते है। लंकेश लक्ष्मण को अपने जीवन का अनुभव पांच बातों के सार मे दिया। किसी अच्छी सलाह को तुरंत मान लेना, अच्छा कार्य कल पर मत छोडऩा। किसी बात का गर्व (घमण्ड) नहीं करना पराई स्त्री व पराई दौलत को अपना मत समझना। मृत्यु और सच को जीवन मे कभी नहीं भूलना। प्रवचन का श्रवण करने बड़ी संख्या में जैन समाजजन उपस्थित रहे।