जिले में नहीं होगी खाद की कमी, क्रमिक रूप से होगा भण्डारण 

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अब तक लक्ष्य 56 प्रतिशत खाद का भण्डारण हुआ, वितरण भी तेजी जारी, डीएपी की कमी होने पर दूसरे खाद विकल्पों के उपयोग की कृषि वैज्ञानिकों की सलाह 
धमतरी | चालू खरीफ मौसम में खेती-किसानी के लिए जिले के किसानों को किसी भी तरह से खाद की कमी नहीं होगी। जिले में अभी तक चालू खरीफ मौसम के लिए कुल निर्धारित लक्ष्य का लगभग 56 प्रतिशत खाद का भण्डारण कर लिया गया है। जिले में चालू खरीफ मौसम के लिए किसानों को 44 हजार मीट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। रासायनिक उर्वरकों का भण्डारण लगातार क्रम में किया जा रहा है। पहले चरण में लगभग 20 हजार मीट्रिक टन खाद का भण्डारण प्राथमिक सहकारी समितियों मे ंकर दिया गया है। समितियों से लगातार किसान बिना किसी परेशानी के रासायनिक उर्वरक प्राप्त कर रहे हैं। अभी भी लगभग 8 हजार मीट्रिक टन खाद प्राथमिक सहकारी समितियों और साढ़े 4 हजार मीट्रिक टन खाद डबल लॉक में उपलब्ध है। जिले के विपणन अधिकारी श्री सुनील राजपूत ने बताया कि अगले तीन-चार दिनों में रायपुर और बालोद रेक पॉईंट से जिले को यूरिया, सुपर फास्फेट, एनपीके जैसी खादों का भण्डारण कर लिया जाएगा।
              खेती-किसानी के इस समय में कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा भी जिले में खाद-बीज के भण्डारण और वितरण पर गहरी नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने किसानों को समय पर पर्याप्त खाद और बीज उपलब्ध कराने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। कलेक्टर ने अधिकारियों को बीज-खाद की कमी जैसी स्थिति पर तत्काल सूचित करने के भी निर्देश दिए हैं, ताकि समय पर उच्चाधिकारियों से बात कर जिले में खाद-बीज की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। जिले के 74 प्राथमिक सहकारी समितियों में इस समय लगभग 20 हजार मीट्रिक टन रासायनिक खाद का भण्डारण किया जा चुका है। जिसमें यूरिया 9 हजार 267 मीट्रिक टन, सिंगल सुपर फास्फेट 3 हजार 570 मीट्रिक टन, डीएपी 3 हजार एक सौ मीट्रिक टन, म्यूरेट ऑफ पोटाश एक हजार 275 मीट्रिक टन, एनपीके 2 हजार 525 मीट्रिक टन शामिल हैं। जिले में किसानों द्वारा खाद के उठाव के बाद भी अभी 8 हजार 195 मीट्रिक टन खाद प्राथमिक सहकारी समितियों में शेष है। इसके साथ ही 4 हजार 500 मीट्रिक टन खाद डबल लॉक में भी उपलब्ध है, जिसे समय पर समितियों में भण्डारित किया जा रहा है।
डीएपी खाद के स्थान पर दूसरी खादों को मिलाकर खेतों में डालने की सलाह
पूरे देश में डीएपी खाद की संभावित कमी को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने डीएपी खाद के स्थान पर अन्य दूसरी खादों का उपयोग करने की सलाह किसानों को दी है। कृषि वैज्ञानिकों ने धान की जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए डीएपी के स्थान पर 52 किलो यूरिया, एक सौ किलो सुपर फास्फेट और 13 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग करने की सलाह दी है। इसी तरह एनपीके 12ः32ः16 खाद की 50 किलो मात्रा, यूरिया की 39 किलो मात्रा को भी एक साथ मिलाकर एक एकड़ की जल्दी पकने वाली धान की किस्म के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह कॉम्पलेक्स खाद 20ः20ः00ः13 की 80 किलोग्राम मात्रा, यूरिया की 18 किलोग्राम मात्रा और पोटाश की 13 किलो मात्रा को मिलाकर भी जल्दी पकने वाली धान के एक एकड़ खेत में उपयोग किया जा सकता है। कृषि विशेषज्ञों ने धान की लम्बी अवधि की 140 दिन से अधिक में पकने वाली किस्मों के लिए भी मिश्रित खादों की अनुशंसा की है। धान की लम्बी अवधि की फसलों में डीएपी के स्थान पर 70 किलो यूरिया, 125 किलो सुपर फास्फेट और 20 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग करने की सलाह दी है। इसी तरह एनपीके 12ः32ः16 खाद की 62 किलो मात्रा, यूरिया की 54 किलो और पोटाश की 4 किलोग्राम मात्रा को भी एक साथ मिलाकर एक एकड़ की लम्बी अवधि में पकने वाली धान की किस्म के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह कॉम्पलेक्स खाद 20ः20ः00ः13 की 100 किलोग्राम मात्रा, यूरिया की 26 किलोग्राम मात्रा और पोटाश की 20 किलो मात्रा को मिलाकर भी देर से पकने वाली धान के एक एकड़ खेत में उपयोग किया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिकों ने धान की मध्यम अवधि में 125-140 दिन में पकने वाली किस्मों के लिए डीएपी के स्थान पर 87 किलो यूरिया, 150 किलो सुपर फास्फेट और 27 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग करने की सलाह दी है। इसी तरह एनपीके 12ः32ः16 खाद की 75 किलो मात्रा, यूरिया की 67 किलो  और पोटाश की सात किलोग्राम मात्रा को भी एक साथ मिलाकर एक एकड़ की मध्यम अवधि की धान की किस्म के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह कॉम्पलेक्स खाद 20ः20ः00ः13 की 120 किलोग्राम मात्रा, यूरिया की 35 किलोग्राम मात्रा और पोटाश की 27 किलो मात्रा को मिलाकर भी मध्यम अवधि की धान के एक एकड़ खेत में उपयोग किया जा सकता है।  कृषि वैज्ञानिकों ने हाईब्रिड धान की किस्मों के लिए डीएपी के स्थान पर 113 किलो यूरिया, दो सौ किलो सुपर फास्फेट और 40 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग करने की सलाह दी है। इसी तरह एनपीके 12ः32ः16 खाद की एक सौ किलो मात्रा, यूरिया की 86 किलो मात्रा  और पोटाश 13 किलोग्राम को भी एक साथ मिलाकर एक एकड़ की हाईब्रिड धान के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह कॉम्पलेक्स खाद 20ः20ः00ः13 की 160 किलोग्राम मात्रा, यूरिया की 44 किलोग्राम मात्रा और पोटाश की 40 किलो मात्रा को मिलाकर भी हाईब्रिड धान के एक एकड़ खेत में उपयोग किया जा सकता है।  कृषि वैज्ञानिकों ने मक्का फसल के लिए भी डीएपी के स्थान पर दूसरे खाद समूह को खेतों मे डालने की सलाह किसानों को दी है। मक्का की संकुल किस्मों के लिए किसान 70 किलो यूरिया, एक सौ किलो सुपर फास्फेट और 20 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग कर सकते हैं। इसी तरह एनपीके 12ः32ः16 खाद की 50 किलो मात्रा, यूरिया की 56 किलो और पोटाश की 7 किलो मात्रा को भी एक साथ मिलाकर एक एकड़ की मक्का की फसल में उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह कॉम्पलेक्स खाद 20ः20ः00ः13 की 80 किलोग्राम मात्रा, यूरिया की 35 किलोग्राम मात्रा और पोटाश की 20 किलो मात्रा को मिलाकर भी मक्के की संकुल किस्म की फसल के एक एकड़ खेत में उपयोग किया जा सकता है। मक्के की हाईब्रिड किस्मों के लिए किसान डीएपी की कमी होने पर 87 किलो यूरिया, 150 किलो सुपर फास्फेट और 27 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग कर सकते हैं। इसी तरह एनपीके 12ः32ः16 खाद की 75 किलो मात्रा, यूरिया की 67 किलो और पोटाश की 7 किलो मात्रा को भी एक साथ मिलाकर एक एकड़ की हाईब्रिड मक्का की फसल में उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह कॉम्पलेक्स खाद 20ः20ः00ः13 की 120 किलोग्राम मात्रा, यूरिया की 35 किलोग्राम मात्रा और पोटाश की 27 किलो मात्रा को मिलाकर भी मक्के की हाईब्रिड किस्म की फसल के एक एकड़ खेत में उपयोग किया जा सकता है। जिले में सोयाबीन और मूंगफली की फसल लगाने वाले किसानों के लिए कृषि विशेषज्ञों ने डीएपी की कमी होने पर 17 किलो यूरिया, 200 किलो सुपर फास्फेट और 13 किलो पोटाश मिलाकर एक एकड़ फसल में उपयोग करने की सलाह दी है। इसी तरह किसान सोयाबीन और मूंगफली की फसल में एनपीके 12ः32ः16 खाद की 100 किलोग्राम एक एकड़ की फसल में उपयोग कर सकते हैं।