जितने भोले बनकर आप भगवान को प्राप्त करना चाहोगे उतने ही आप भगवान के करीब पहुंच जाओगे – पंडित प्रदीप मिश्रा

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शिव महापुराण के चौथे दिन लगभग डेढ़ लाख श्रद्धालु हुए शामिल

कुरूद | कुरूद में आयोजित होने वाले शिव महापुराण के कथा के चौथे दिन भीषण गर्मी के बावजूद लगभग डेढ़ लाख श्रद्धालु जुटे और पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा कहे जाने वाले शिव महापुराण में मगन होकर घूमने भी लगे। पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने कहा जितने भोले बनकर आप भगवान को प्राप्त करना चाहोगे उतने ही आप भगवान के करीब पहुंच जाओगे। उन्होंने रावण और हनुमान के बारे में बदलते हुए कहा कि रावण बहुत विद्वान थे जबकि श्री हनुमान जी विद्यावान थे । उन्होंने कहा कि रावण को सब ज्ञान था क्योंकि वह विद्वान था। रावण और हनुमान जी जब आमने-सामने हुए तो दोनों की समता को देखा गया। विद्वान अहंकार में डूबा रहता है और विद्यावान अपनी नम्रता में डूबा रहता है। उन्होंने कहा इसीलिए कहा जाता है हनुमान जी को विद्या बान गुनी अति चतुर।

आज के शिव पुराण को उन्होंने मां की भूमिका में पिरोया – पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा में बताया कि बच्चा अपनी मां के गोद में रहता है जब तक वहां चल नहीं सकता। उन्होंने कहा की शिव पुराण कहता है कि जब बच्चा खिलौना पकड़ना सीख जाता है उसे दिन मां की गोद से जमीन पर सुला दिया जाता है। बस यही मेरे भोलेनाथ की कृपा है। जो संसार की माया मोह में डूब जाता है भोलेनाथ उसे छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा आप भी अपने परिवार में रहे लेकिन ध्यान रहे किसी को धोखा ना दें किसी का बुरा ना करें। बच्चों को संस्कारी बनाने की बात कही – पंडित मिश्रा ने कहा माता-पिता अपने बच्चों को लायक बनाएं पर इतना लायक ना बनाएं कि बच्चा आपको नालायक ना समझ ले उन्हें लायक बनाने के साथ ही उनके संस्कार का ज्ञान भी दें। दुनिया में मां-बाप से बड़ा दौलत नहीं- पंडित मिश्रा कथा का विवरण देते हुए उन्होंने कहा दुनिया में मां बाप से बड़ा कुछ भी नहीं। दुनिया में मां-बाप से बड़ा दौलत नहीं है।

प्रकृति मां, धरती मां, गौ माता, और अपने स्वयं की मां महत्वपूर्ण है –
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आप प्रकृति को कुछ देना सीखिए प्रकृति हमें बहुत कुछ देती है आप गौ माता को कुछ देना सीखो गौ माता हमें बहुत कुछ देती है। उन्होंने कहा कि गौ माता एक तीर्थ के समान होती है। इस तरह आप धरती मां को कुछ देना चाहिए धरती माता आपको बहुत कुछ देती है। इसी तरह आप अपने मां को कुछ देना सीखिए आपकी माता आपको बहुत कुछ देती है। आपके संस्कार ऐसे होने चाहिए कि आप कभी अपने मां-बाप से ऊंची आवाज से बात ना करें। उन्होंने कहा जिस घड़ी जिस क्षण आप अपने माता को समझ जाएंगे उसी क्षण आप बहुत बड़े बन जाएंगे। कथा में उन्होंने प्रकृति और पानी का महत्व भी बताया। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा के दौरान बताया कि मेरे पिताजी कभी चने का ठेला लगाया करते थे, मेरी मां दूसरों के साड़ियों की फॉल शीला करती थी दूसरों के कपड़े सिला करती थी लेकिन मेरे संस्कार अच्छे थे जो मैं यहां तक पहुंच गया। शंकर के भक्त को दिखावे की जरूरत नहीं – पंडित जी ने कहा कि एक सच्चे शंकर के भक्त को दिखावे की जरूरत कभी नहीं पड़ती । पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि दो चीज हमारे राष्ट्र को मजबूत करती हैं एक नारी के मस्तक में बिंदी दूसरा जिव्हा से निकलने वाली हिंदी। साथ उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को अपने मस्तक में तिलक लगाने की जरूरत है। उन्होंने मां का महत्व बदलते हुए कहा कि दुनिया में कितनी भी टेंशन हो इतनी भी तकलीफ हो एक बार माता के पास जाकर बैठ जाओ आपका टेंशन दूर हो जाएगा। आप अपनी टेंशन अपना दुख अपनी मां को जाकर सुना दो आपका टेंशन दूर हो जाएगा। उन्होंने कहा याद रखना मां के चरण की मिट्टी स्वर्ग के बराबर होती है। उन्होंने कहा भगवान शंकर का एक अवतार गौ माता के उदर से भी होता है हम जितना भी चरित्र सुनाते हैं वह शिव महापुराण से संबंधित है। कथा के दौरान उन्होंने श्रद्धालुओं द्वारा भेजे गए पत्र का वाचन भी किया और शिव की शक्तियों का वर्णन बताते हुए उन्हें प्राप्त हुए शिव लाभ की बात बताई। बीच-बीच में इस दौरान पंडित जी ने भजन की भी प्रस्तुति दी जिसमें भक्तगण शिव भक्ति में मंत्र मुग्ध होकर घूमते रहे।