
रायपुर । गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन ऋषि-पंचमी के अवसर पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ‘नुआखाई’ की खरीददारी के लिए बाज़ारों में स्थानीय उत्कल समाज के लोगों की काफी चहल-पहल देखी गयी। उल्लेखनीय है कि यह पड़ोसी राज्य ओडि़शा का और विशेष रूप से छत्तीसगढ़ से लगे हुए पश्चिम ओडि़शा का प्रमुख लोकपर्व है,जो खेतों में खरीफ़ की नयी फसल (धान) के आने की खुशी में मनाया जाता है।
फसलों की देवी अन्नपूर्णा की पूजा के लिए बाज़ारों में नये धान की बालियों के साथ उनके दाने और उनसे बने चिवड़ा, छोटे -छोटे बंडलों में सरगी के पत्ते , मिट्टी के दीयों और सरगी के पत्तों से बने दोने आदि की भी अच्छी बिक्री हुई। स्थानीय कालीबाड़ी के पास सवेरे से सड़क के किनारे पसरा लगाकर इन सामानों की बिक्री के लिए उत्कल समाज के लोग बैठे हुए थे। इनमें उत्कल -महिलाएँ भी शामिल थीं।