वनभूमि में काबिज गरीब आदिवासियों को पट्टा दे राज्य सरकार : अनिता ध्रुव धमतरी | आदिवासी बाहुल्य सिहावा विधानसभा क्षेत्र के वनांचल के गांवों में खाली पडी वनभूमि पर गरीब आदिवासी व भूमिहीन परिवार लगभग अठारह बीस वर्ष से काबिज होकर धान लगाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं जिन्हें आज तक भूमि स्वामी का हक नहीं मिल पाया है। बल्कि अतिक्रमण के नाम पर आदिवासी परिवारों के साथ मारपीट कर दुर्व्यवहार किया जाता है। यहां तक आदिवासी महिलाओं के कपड़े फाड़ दिये जाते हैं। उनकी झोपड़ी रसद के साथ जला दी जाती है | आखिर गरीब आदिवासियों को इंसाफ कब मिलेगा| आदिवासी भाजपा नेत्री जिला पंचायत सदस्य अनिता ध्रुव ने राज्य सरकार से वनभूमि में काबिज गरीब परिवारों को जमीन का पट्टा देने की मांग की है। उन्होंने बताया कि सिहावा विधानसभा क्षेत्र के गांव आलेखुटा, मड़ेली, झुरातराई, रतावाडीह, उमरादेहान, कुसुमभार्री, खरखाभर्री, बोईरनाला, ठेल्काभर्री, देवभर्री, बेन्द्रपानी, केकरखोली, केरामुड़ा, बासीखाई, सिरकट्टा, सिंगपुर ,पलारीखार, गेंदाभर्री, राऊतमुड़ा, कुकरीकोन्हा ,बेधवापत्थरा , गट्टासिल्ली ,गोंदनानाल, बोदलवंडी, बाम्हनबाहरा, कौहाबाहरा, डोकाल, पंडरीपानी , कसरवाही ,खड़मा, देवभर्री, मोहंदी, डोकाल सहित आदि जगहों पर कोई 1980 से तो कोई 1984 से काबिज है लेकिन आज तक इन गरीब किसानों को भूमि स्वामी का हक नहीं दिया गया है। आज भूमिहीन आदिवासी परिवार अतिक्रमण के नाम पर जेल जा रहें हैं। उन्हें पेड़ कटाई करने का झूठा इल्जाम लगाकर गुनाहगार साबित किया जा रहा है। जिला पंचायत सदस्य ने राज्य सरकार से अतिक्रमणकारी गरीब आदिवासियों को जमीन का पट्टा देने की मांग की है। आदिवासी नेत्री ने बताया कि विकासखण्ड नगरी में पांचवीं अनुसूची लागू| वर्ष 1984 में रायपुर कलेक्टर एवं अतिक्रमणकारियों के बीच समझौता हुआ भी हुआ था लेकिन आज तक लाभ नही मिला। जबकि शासन से निर्देश जिला पंचायत,जनपद पंचायत के माध्यम से ग्राम पंचायत सभा को प्राप्त होता है जिसका क्रियान्वयन वन विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जाना है किन्तु वन विभाग कुंभकर्ण की निद्रा में सोया हुआ है |