केवि धमतरी में हुआ नंदन द्वारा रचित पुस्तक लेकिन इतना ही सच नही का विमोचन

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धमतरी । केन्द्रीय विद्यालय धमतरी के प्राचार्य डॉ. एस. एस. धुर्वे के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने पर विद्यालय परिवार द्वारा उन्हें 25 दिसंबर को ससम्मान भावभीनी विदाई दी गई | इस अवसर पर स्टाफ द्वारा उन्हें श्रीफल, शाल, गिफ्ट और अभिनंदन पत्र देकर सम्मानित किया गया | विदाई के इस अवसर पर विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक श्री पी. एल. साहू ने प्राचार्य द्वारा पीजीटी हिन्दी, उप प्राचार्य और प्राचार्य के रूप में केन्द्रीय विद्यालय संगठन में बच्चों और संगठन के लिए किए गए महत्वपूर्ण कार्यों, नवाचारों आदि पर प्रकाश डाला | उन्होने बताया कि वे एक शिक्षक और प्राचार्य के रूप में संगठन में दी गई सेवाओं के लिए सदैव याद किए जाएँगे | श्री एस के पवार ने “मौसम आएँगे-जाएँगे” तथा श्री बी आर यादव ने “बीते हुए लम्हों की कशक साथ तो होगी” गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी |

सुरेश देवांगन ने बताया कि प्राचार्य के कुशल मार्गदर्शन में केवि धमतरी न केवल शिक्षा अपितु खेल, साहित्य, कला, राजभाषा हिन्दी, स्वच्छ विद्यालय आदि के क्षेत्र में भी पूरे धमतरी जिले में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर रहा | इस अवसर पर एसके गिरि, कमलप्रीत कौर, हरेन्द्र साहू, रीमन लाल, कविता, बीआर नाग, जीएल साहू सहित पूरे स्टाफ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए प्राचार्य महोदय के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और विद्यालय में उनके योगदानों को याद कर उनके स्वस्थ, सुखी और शांतिमय जीवन के लिए शुभकामनाएँ दी | इस अवसर पर सेवानिवृत प्राचार्य डॉ. एस. एस. धुर्वे ने अपने कार्यकाल में विद्यालय को चलाने में पूर्ण मनोयोग से सहयोग करने के लिए पूरे स्टाफ को धन्यवाद देते हुए कहा कि वे केवि धमतरी के बच्चों, पालकों एवं स्टाफ को सदैव याद रखेंगे |

विदाई कार्यक्रम के दूसरे सत्र में केन्द्रीय विद्यालय धमतरी के प्राचार्य डॉ. एस. एस. धुर्वे द्वारा चार खंडों में लिखित आत्मकथात्मक उपन्यास “लेकिन इतना ही सच नहीं !” का विमोचन भी किया गया | कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री पीएस एल्मा आई.ए.एस. कलेक्टर धमतरी थे | कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री नासिर अहमद सिकंदर कवि एवं आलोचक भिलाई ने किया | श्री सुरजीत नवदीप वरिष्ठ साहित्यकार धमतरी, श्री विजय सिंह वरिष्ठ कवि एवं संपादक जगदलपुर, श्री रजत कृष्ण वरिष्ठ कवि एवं संपादक बागबाहरा और श्री लखन लाल मौर्य केंद्र निदेशक आकाशवाणी, रायपुर विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाए |
इस अवसर पर श्री भुवन लाल साहू सेवानिवृत्त प्राध्यापक कोरबा, श्री सीता राम साहू ‘श्याम’ वरिष्ठ साहित्यकार एवं लोक गायक पैरी बलोद, श्री सुशील भोले ख्यातिनाम छत्तीसगढ़ी साहित्यकार रायपुर और श्री दुर्गा प्रसाद पार्कर वरिष्ठ लोक साहित्यकार भिलाई ने प्राचार्य डॉ. एस. एस. धुर्वे जी के साहित्यिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्हे पुस्तक के विमोचन पर बधाई देते हुए सफलता की शुभकामनाएँ दी |
श्री जितेंद्र प्रताप सिंह पीजीटी हिन्दी और कवि ने “लेकिन इतना ही सच नहीं !” पुस्तक के चारों खंडों के लिए आधार वक्तव्य दिया | उनका मानना था कि यह कृति किसी आदिवासी द्वारा लिखा गया पहला आदिवासी विमर्श पर आधारित उपन्यास है, जो लेखक के बचपन से लेकर अब तक के जीवन संघर्षों ,असफलताओं और सफलताओं का लेखा-जोखा है।

श्री डुमन लाल ध्रुव साहित्यकार एवं अध्यक्ष जिला हिन्दी साहित्य समिति धमतरी और श्री अजय यादव पाठक एवं समीक्षक ने डॉ. एस. एस. धुर्वे द्वारा लिखित आत्मकथात्मक उपन्यास “लेकिन इतना ही सच नहीं !” पुस्तक में समाहित विभिन्न पात्रों, प्रसंगों, संवादों, कहानियों आदि पर प्रकाश डालते हुए इन पुस्तकों की विशेषताओं का वर्णन किया |
मुख्य अतिथि श्री पी.एस. एल्मा आई.ए.एस. कलेक्टर धमतरी ने प्राचार्य को पुस्तक के विमोचन के लिए बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि डॉ. एस. एस. धुर्वे एक श्रेष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और शिक्षाविद हैं | उनके स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने पर उन्होने कहा कि उनके नेतृत्व में केवि धमतरी ने न केवल संभागीय अपितु राष्ट्रीय स्तर पर अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन किया | उन्होने धमतरी जिला के बच्चों को श्रेष्ठ शिक्षा एवं संस्कार देने के लिए आभार व्यक्त करते हुए उनके सुखमय सेवानिवृत्त जीवन के लिए अपनी शुभकामनाएँ दी |
डॉ. एस. एस. धुर्वे ने अपने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति और आत्मकथात्मक उपन्यास के विमोचन के अवसर पर पधारे हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि ये सब आप सभी की प्रेरणा और मार्गदर्शन से संभव हो पाया है | उन्होने कलेक्टर धमतरी, हिन्दी साहित्य समिति जिला धमतरी के सदस्यों और मंचासीन वरिष्ठ साहित्यकारों को पुस्तकों की समीक्षा करने का निवेदन करते हुए सहयोग करने के लिए धन्यवाद दिया |

चार खंडों वाला आत्मकथात्मक उपन्यास के प्रथम खंड पर चर्चा करते हुए सर्वनाम के संपादक एवं कवि डॉ. रजत कृष्ण ने कहा कि नंदन ने इस कृति में अपने बाल्यकाल का वर्णन किया है। इस खंड में उनका जन, जनपद और जनसंस्कृति को जैसा जीया उसका सम्पूर्ण व यथार्थ वर्णन किया है।

दूसरे खंड पर चर्चा करते हुए एक सजग पाठक और समीक्षक श्री अजय यादव ने नंदन के किशोरावस्था और युवावस्था के सन्धिकाल के दौरान लेखक ने अपने मनोवृतियों का संवेदनात्मक वर्णन किया है ।

कृति के तीसरे खंड पर विस्तार से चर्चा करते हुए सूत्र के संपादक एवं कवि श्री विजय सिंह जगदलपुर ने लेखक के नौकरी के दौरान परिवार, समाज और साहित्य के साथ तालमेल बिठाने की जद्दोजहद पर बात की। उन्होंने कहा कि एक सजग साहित्यकार बिना लिखे रह नहीं सकता। उन्होंने आगे कहा कि लगभग 25 साल पहले नंदन एक कवि के रूप में हमारे सामने आए थे लेकिन आज लगभग एक हजार पृष्ठ का उपन्यास लिखकर वह हमें अचंभित कर रहे हैं।

श्री नासिर अहमद सिकंदर कवि एवं आलोचक भिलाई ने अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. एस. एस. धुर्वे ‘नन्दन’ के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें क्रांतिकारी लेखक व कवि कहा | उनका कहना था कि कृति का खंड चार उपन्यास का सबसे महत्वपूर्ण अंश है , जहाँ लेखक की मानवतावादी सोच उभार पर है । इस खंड में लेखक ने अन्याय और अत्याचार सामाजिक बुराईयों, धार्मिक पाखंडऔर सत्ता की बेईमानियों पर कड़ा प्रहार कर आमजन से अपने जुड़ाव को स्पष्ट किया है। उन्होने उनके द्वारा रचित उपन्यास की सफलता की शुभकामनाएँ दी |

नंदन द्वारा रचित इस कृति के विमोचन समारोह में धमतरी के वरिष्ठ साहित्यकार , पत्रकार, गणमान्य नागरिकों के साथ संपूर्ण छत्तीसगढ़ से सैकड़ों साहित्यकार और पन्ना मध्यप्रदेश , लखनऊ उत्तरप्रदेश से साहित्यकार उपस्थित रहे। सभी ने नंदन को बधाई देते हुए उनकी इस कृति को ऐतिहासिक दस्तावेज बताया।