धमतरी | केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए कृषि विधेयक बिल लाया गया है जिन्हें ध्वनि मत से पास भी करा लिया गया है |यह विधेयक किसी भी प्रकार से किसानों के हित में नहीं है| इन विधेयक के प्रावधान से स्पष्ट है इससे किसानों की कमर टूट जाएगी ।कृषि बर्बाद हो जाएंगे और भारत जैसे देश जहां की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है जहां 70% लोग कृषि पर निर्भर करते हो वहां किसानों के विक्रय के नाम से मंडी कृषि उपज मंडी जैसे व्यवस्था को समाप्त कर खुले बाजार के नाम पर प्रावधान कर सिर्फ पूंजीपतियों को हवाले करने का एक षड्यंत्र सामने आ रहा है | यह बात अमरदीप साहू अध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस कमेटी धमतरी ग्रामीण ने कही | उन्होंने आगे कहा कि सरकार को इस बात को जान लेना चाहिए कि लगभग 80% किसानों के पास 2 से3 एकड़ जमीन है|
ऐसे किसानों के पास यह क्षमता नहीं रहेगी कि इस तरह के बड़े बाजारों में वह अपने उत्पाद को कहीं दूर भेज सके। वर्तमान स्थिति में जब कृषि उपज मंडी जैसी व्यवस्था है स्थानीय व्यापारियों के बीच में प्रतिस्पर्धा के चलते किसानों को उचित बाजार मिल जाता है लेकिन स्थानीय बाजारों की मंडी समाप्त होने पर बड़े बाजारों तक ऐसे छोटे एवं गरीब किसान की पहुंच से बाहर हो जाएंगे और निश्चित रूप से सिर्फ उनका शोषण होग | इसमें अनाज को आवश्यक वस्तु अधिनियम से भी बाहर रखा जा रहा है और इससे बड़े पूंजीपति असीमित रूप से इनका भंडारण करेंगे और स्वाभाविक रूप से बड़े भंडारण करने किसान से सस्ते दामों पर माल खरीद लिए जाएंगे और उसके बाद जमाखोरी करने के बाद में उपभोक्ताओं के पास इनकी आपूर्ति की कमी बताकरअनाप-शनाप रेट में बेचेंगे |इससे न केवल किसान का शोषण है बल्कि उपभोक्ताओं को भी महंगा अनाज मिलेगा । अत्यधिक उत्पादन के लिए बेतहाशा रासायनिक खादो का उपयोग , कीटनाशकों का उपयोग करने से ज्यादा उत्पादन के लिए जमीनों की भी सेहत बिगड़ती जाएगी और कुछ वर्षों के बाद यह जमीन उपजाऊ नहीं रह पायेगी । न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं होने या शिथिल होने से पूंजीपतियों द्वारा कहीं पर भी उचित मूल्य के लिए कोई जवाबदेही नहीं होगी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ अब तक सरकारी एजेंसियों के माध्यम से मिलता रहा है लेकिन प्राइवेट सेक्टर में निसंदेह रूप से इन्हें किसी प्रकारसे समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदी जाएगी और उनके शर्तों पर अनाप-शनाप कम मूल्य पर किसानों को अपनी उपज बेचना पड़ेगा । समय पर भुगतान प्राप्त होने की भी गारंटी नहीं है।निश्चित रूप से यह विधेयक किसी भी दृष्टिकोण से किसानों के हित में नहीं है। किसानों के हित में इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए | उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय को दुगुनी करने की बात करते हैं लेकिन इन विधायकों के प्रावधान से पता चलता है कि पूंजीपतियों द्वारा किसान को गुलाम बनाने की साजिश की जा रही है | इसका असर न केवल किसान पर पड़ेगा बल्कि मजदूर, उपभोक्ताओं पर भी होगा। खाद्य पदार्थ महंगे हो जाएंगे |