धमतरी |ऑनलाइन जुड़े सभी सत्संगियों को माता सिद्धिदात्री की महिमा बताते हुए बाबाजी ने कहा कि सिद्धिदात्री माता अष्टसिद्धि नवनिधि और दस महाविद्या की स्वामिनी है| भगवान शिव जी ने सिद्धि प्राप्त करने हेतु माता सिद्धिदात्री की प्रार्थना उपासना की| माता भगवती सीता सिद्धिदात्री रूप में पूजी जाती है | उन्होंने ऋषि रूप में नौ सिद्धियों को प्राप्त किया | नवम दिवस पर माता-सीता भगवती की उपासना सिद्धिदात्री के रूप में की जाती है| सत्संग परिचर्चा के बीच रामफल जी ने देवी पूजी पद कमल तुम्हारे… . के भाव को स्पष्ट करने की विनती बाबाजी से की | बाबाजी ने बताया कि यह प्रसंग दो माताओं के मिलन का है | माता भवानी की पूजा करने के लिए सीता पहुंचती हैं और कहती हैं कि गणेश, कार्तिकेय की माता आप हो | संसार की सृष्टि लयकारी आप हो |इस तरह माता सीता भवानी माता से प्रार्थना करते हुए श्री रामजी को अपने वर रूप में मांगती हैं| पाठक परदेसी ने दशरथ जी और दशानन के चरित्र पर प्रकाश डालने की जिज्ञासा व्यक्त की | बाबाजी ने कहा कि दशानन और दशरथ दोनों में ज्यादा भेद नहीं है | दोनों ही मनुष्य है |दोनों ही वीर है |ज्ञानी है |राजा है| पराक्रमी है और पराक्रमी पुत्रों के पिता भी है |दोनों के ही जीवन में आशा, तृष्णा है|दोनों की कई पत्नियां है परंतु एक भगवान श्री राम के पिता है और एक स्वयं रावण है | दशरथ धर्म और रावण अधर्म के साथ चलते थे | दशहरा के अवसर पर दशरथ व दशानन के चरित्र को देखते हुए हम शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं कि आशा, तृष्णा के भरे हुए जीवन में काम और क्रोध, विषय और विकार, दुर्गुण और विचार, अहंकार मनुष्य के अंत का कारण बनते है | हमें इन सभी चीजों से दूरी बनानी चाहिए | दशरथजी ने जब अपना जीवन जिया तब भी भगवान श्री राम के दर्शन प्राप्त किये और जब उनकी मृत्यु हुई तब भी उन्होंने भगवान श्रीराम का प्रेमपूर्वक नाम पुकारा| इसीलिए उनकी मृत्यु का शोक कभी नहीं किया जाता| उसी प्रकार दशानन ने भी मृत्यु समय भगवान श्रीराम का नाम लिया, तो उसे भी श्रीराम ने अपने पिता के समान ही मोक्ष प्रदान किया| इसीलिए हमारा जीवन ऐसा होना चाहिए कि भगवान श्रीराम का स्मरण सदैव हमारे ह्रदय में रहे | इस अवसर पर तनु साहू, शिवाली साहू ने रामचरितमानस की चौपाइयां प्रस्तुत की| पुरुषोत्तम अग्रवाल , पाठक परदेसी ने मधुर भजन प्रस्तुत किये |