
रायपुर | शहर की सड़कों पर इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का लोग उम्मीद लगाए हैं। इधर, नगर निगम डेढ़ वर्ष से अधिक समय से केवल सपने ही दिखा रहा है। नगर निगम के जिम्मेदारों को बसों के संचालन के लिए अब तक एजेंसी ही नहीं मिल पाई है। एजेंसी तय करने के लिए निगम की ओर से दो बार टेंडर जारी किया जा चुका है, लेकिन किसी कंपनी ने रूचि नहीं दिखाई। अब समयावधि समाप्त होने के बाद तीसरी बार टेंडर जारी करने की तैयारी की जा रही है।विगत माह मई में एमआइसी सदस्य और नगर निगम के ट्रांसपोर्ट सेल के अध्यक्ष अजीत कुकरेजा ने महापौर एजाज ढेबर से मुलाकात कर बताया था कि चंडीगढ़ की तर्ज पर 50 बसों का संचालन करने की तैयारी है। पहले चरण में 12 करोड़ रुपये के खर्च से 10 इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जाएंगी, जो जून में संचालित होगी।
दूसरे चरण में 40 बसों की खरीदी होगी, जिसके बाद पेट्रोल या डीजल पर चलने वाली बसों को सड़क से हटा दिया जाएगा। उन्होंने अगस्त तक 50 बसों के संचालन का दावा किया था। प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इलेक्ट्रिक बसों के संचालन में एजेंसियां रूचि क्यों नहीं दिखा रही हैं, इसपर जल्द ही बैठक लेकर समीक्षा की जाएगी।इलेक्ट्रिक बसों के शुरू होने से राजधानी के बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगेगा। साथ ही डीजल पर खर्च होने वाले भारी भरकम राशि की बचत होगी। बसें पूरी तरह से बिजली से चलेंगी, जिससे शोर तथा प्रदूषण से छुटकारा मिलेगा। लोगों को भी शांतिपूर्ण माहौल में यात्रा करने मिलेगी। इससे लोगों को स्वास्थ्यगत लाभ मिलेगा।नगर निगम आयुक्त मयंक चतुर्वेदी का कहना है कि इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए प्रक्रिया जारी है। दो बार टेंडर जारी किया गया था, लेकिन कंपनी ने हिस्सा नही लिया। सोमवार को तीसरी बार टेंडर जारी किया जाएगा। लोगों को सुविधाएं देने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। वहीं नगर निगम के ट्रांसपोर्ट सेल के अध्यक्ष अजीत कुकरेजा का कहना है कि इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए कुछ कंपनियों से बातचीत की गई थी। कुछ कंपनियां दस की जगह 50 वर्षों के लिए संचालन की जिम्मेदारी मांग रही हैं, जिसे लेकर मामला उलझा हुआ है।