आचार्य सम्राट शुभचंद्र का चतुर्थ स्मृति दिवस एकासना दिवस के रुप में मनाया गया

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सरलता और वात्सल्यता के वारिधि थे आचार्य सम्राट शुभचंद्र – साध्वी डॉ बिन्दुप्रभा
धमतरी | जयगच्छाधिपति 11वें पट्टधर आचार्य शुभचंद्र महाराज का चतुर्थ स्मृति दिवस रविवार को वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ धमतरी के तत्वावधान में मनाया गया। इस दौरान जैन स्थानक भवन सिहावा चौक में साध्वी बिंदुप्रभा ने प्रवचन में कहा कि आचार्य सम्राट शुभचंद्र महाराज इस युग के यशस्वी आचार्य थे। वे अत्यंत सरल एवं वात्सल्य वारिधि थे। सच्चे अर्थों में उन्होंने जीवन के रहस्य को समझ लिया। सभी के साथ आत्मीयता पूर्ण व्यवहार एवं सरलता में उनका दृढ़ विश्वास था। हर जातिए हर वर्ग का व्यक्ति उनके प्रति अत्यंत आस्था एवं श्रद्धा का भाव रखता था।

अपने जीवन के पिछले डेढ़ दशक में शारीरिक रूप से अस्वस्थ रहने के बावजूद भी मानसिक रूप से पूर्णतया स्वस्थ थे। मन की विचारधारा गंगा के स्वच्छ जल के समान थी। कई बार शारीरिक से अस्वस्थता होने पर भी वे कहा करते यह तो देह का दंड है। जब तक देह हैए तब तक देह पीड़ा को सहन करना पड़ेगा। सदा मंद मुस्कान उनकी एक चिर परिचित मुद्रा थी। उनके दर्शनार्थ आने वाला हर व्यक्ति उनके दर्शन करने के बाद ऐसा महसूस करता कि उसने सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त कर लिया। वास्तव में वे तीर्थरूप थे। आचार्य शुभचंद्र महाराज का रायपुर मारवाड़ में 14 घंटे के संथारे के साथ समाधि मरण हुआ। साध्वी ने कहा पर्युषण पर्व का पंचम दिवस यह संदेश देता है कि सम्यक ज्ञानए दर्शनए चरित्र और तप की आराधना करते हुए मोक्ष मार्ग पर अग्रसर होना चाहिए। दानए शीलए तपए भावना के द्वारा ही मोक्ष रूपी मंजिल में प्रवेश किया जा सकता है। मोक्षगामी आत्माओं का वर्णन सुनने से स्वयं के भी चरण मोक्ष पथ की ओर अग्रसर बन जाते है। आज के इस अवसर पर खाँगटा राजस्थान निवासी उत्तमचंद जितेंद्र कुमार दीपक कुमार कोठारी वालों की तरफ से 9 लक्की ड्रा निकाले गये। आज धर्मसभा में सुशील, ऊषा कोठारी और राजिम से उगमराज कोठारी गुरुणी दर्शानार्थ पधारे। उगमराज कोठारी, ईश्वरी डूंगरवाल, ऊषा कोठारी, वंदना चौरडिय़ा आदि ने गुरु के प्रति अपने भाव व्यक्त किए। आज खाँगटा राजस्थान, राजिम से भी लोग पहुंचेे थे। उत्साह के साथ तप तपस्यों का दौर जारी है। आज की प्रवचन प्रभावना मदनलाल नितिन गोलछा परिवार की तरफ से वितरित की गई।