
धमतरी । अहिरवार (मोची) समाज की ओर से संत शिरोमणी रविदास जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कांटा तालाब स्थित समाज भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डिकेश कुमार देवांगन ने संत श्री शिरोमणी रविदास बाबा के चित्र में माल्यार्पण कर स्वागत किया।
समाज प्रमुख भागवत राम टांडेकर ने कहा कि संत रविदासजी बड़े परोपकारी थे। उन्होंने समाज में जातिगत भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता पर बल दिया और भक्ति भावना से पूरे समाज को एकता के सूत्र में बांधने के लिए सदा कार्य किया। संत रविदास की शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती है।
जिला प्रभारी कुलेश्वर भांडेकर ने कहा कि संत रविदास कबीरदास के समकालीन और गुरूभाई कहे जाते है। रविदास के जन्म को लेकर कई मत है, लेकिन कई विद्वानों का कहना है कि उनका जन्म साल 1398 में हुआ था। कहते है कि जिस दिन उनका जन्म हुआ, उस दिन रविवार था, इसलिए उनका नाम रविदास रखा गया। समाज प्रमुख रमेश खरे, विनोद महोबिया, राजेश बिंझेकर ने कहा कि संत रविदास ने अपना जीवन प्रभु की भक्ति और सत्संग में बिताया था। वह बचपन से ही प्रभु की भक्ति में लीन रहते थे। मान्यता है कि कृष्ण भक्त मीराबाई भी संत रविदास की शिष्या थी। कहते है कि मीरा बाई को संत रविदास से ही प्रेरणा मिली थी और फिर उन्होंने भक्ति के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया। कार्यक्रम में राघवेन्द्र भांडेकर, मुकेश कुमार चौरे, चन्द्रहास भांडेकर, अहिल्या बाई, कीर्ति भांडेकर, लक्ष्मी बाई, साधना भांडेकर, हिमांशु, लालेश्वर, मुन्ना चौरे, पायल, संजना, परी, मोहित, गुलशन कुमार, अश्वनी कुमार आदि मौजूद रहे।