
कल्पसूत्र से आत्मा की शुद्धि कर मोक्ष की प्राप्ति कर सकते है – प. पू. सुमित्रा श्री जी म. सा.
पर्यूषण पर्व के तीसरे दिन कल्पसूत्र का श्रवण करने उमड़ी भीड़
धमतरी । चातुर्मास के तहत इतवारी बाजार स्थित पार्श्वनाथ जिनालय में प्रवचन जारी है। पर्यूषण पर्व के आज तीसरे दिन कल्पसूत्र का वाचन किया गया। प. पू. मधु स्मिता श्री जी म. सा. ने कहा कि जो अपनी पहचान करा दे वह ध्यान है। जो स्वयं से मिला दे वह निर्माण है। कल्पसूत्र महासूत्र है, कल्पसूत्र मर्यादाओं का सूत्र है। 45 आगमो के बाद भी प्रतिवर्ष इस महापर्व के दिनों में कल्पसूत्र का वाचन किया जाता है क्योंकि जितनी बार इसका वाचन श्रवण किया जाता है उतनी बार ही नये रहस्य का ज्ञान होता है। कल्पसूत्र में महापुरुषो की कई जीवन कथाएं है जिसमें राजाओं ने राजपाठ, वैभव छोड़कर सयंम के पथ पर आगे बढ़े है। साधु-साध्वी जहां चातुर्मास करते है उस स्थान पर 13 गुण मिलना चाहिए। जिसमें जैन आबादी, गोचरी की व्यवस्था, स्वध्याय, कचड़ न हो, दूध, दही पर्याप्त मिले आदि शामिल है। पयूर्षण पर्व में आत्म शत्रु पर विजय प्राप्त कर सकते है। पर्यूषण पर्व पर आचरण की श्रेष्ठता दर्शायी गई है। भगवान महावीर के निर्वाण के 980 वर्ष के बाद कल्पसूत्र का वाचन हुआ। जो व्यक्ति सत्कार के साथ पूजा प्रभावना एकाग्रचित होकर करता है अंनत दुखों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। नवकार मंत्र में 68 अक्षर है 61 लघु 7 गुरु अक्षर है। यह लोगो का रक्षण करने वाला है। सुख में भी भगवान का स्मरण करे तो दुख नहीं आएगा। भगवान महावीर के जीवन ने हमे बहुत कुछ बोध दिया है। इससे हम जीवन का उत्थान कर सकते है।
चिंतन करे हमारे हृदय में कितना प्रेम है। जिनके हृदय में प्रेम अधूरा होता है उन्हें मृत्यु के बाद भी लोग याद नहीं रखते तिरस्कार करते है। भगवान महावीर के जाने के इतने वर्षो बाद भी पूजा की जाती है। उनके हृदय में प्रेम भावना समस्त जीवों के प्रति समान थी। उनके भावना समस्त जीवों को सुखी रखने की थी। उन्होने सुन्दर प्रेम की धारा बहायी इसलिए 2600 वर्ष बाद भी आदर सत्कार से उनका नाम लिया जाता है। उनका शासन चलता है। हमे भी इस मार्ग पर आगे बढऩा चाहिए। प. पू. सुमित्रा श्री जी म. सा. ने कहा कि आत्म साधना कर कल्प महासूत्र को श्रवण करते है तो हृदय शुद्ध होता है। हृदय शुद्ध हो तो यह महासूत्र हमारे जीवन में आ सकता है। हमारे जीवन की व्यवस्था व निर्माण के लिए तीन बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पहला सम्यक तत्व व चींजो को आमंत्रण देना। दूसरा अशुद्ध तत्व विचारों जो मन को अशुद्ध करता है उसका नियंत्रण करना। तीसरा धर्म कार्यो को कमजोर करने वाले कार्यो को संस्कारिक करना। दर्शन पूजा भक्ति नहीं करते तो ऐसे कार्यो को संस्कारिक करना चाहिए। तभी आत्मा की शुद्धि हो सकती है और हम मोक्ष के अधिकारी बन सकते है। कल्प सूत्र मोक्ष दायक है। प्रवचन का श्रवण करने बड़ी संख्या में जैन समाजजन उपस्थित रहे |