
छत्तीसगढ़ का ‘मॉडर्न गांव’: धमतरी की करेली छोटी बन रही प्रदेश की पहचान
एक करोड़ से अधिक विकास कार्य, 70 वर्षों की अनुकरणीय समिति व्यवस्था, अब अवार्ड की दौड़ में
धमतरी l भारत को गांवों का देश कहा जाता है और इन्हीं गांवों में से एक, धमतरी जिले के मगरलोड विकासखंड स्थित करेली छोटी आज प्रदेश का पहला खुशहाल और समृद्धशाली गांव बनकर उभर रहा है। यह गांव अब “मॉडर्न विलेज” की परिभाषा को नया आयाम दे रहा है।
सजग सोच, सशक्त परिणाम
यह सब सम्भव हो सका गांव के मालगुजार दाऊ पवन कल्याण की दूरदर्शी सोच के चलते। 1952 में जब गांव हर साल महानदी की बाढ़ में डूब जाता था, तब दाऊ ने सुरक्षित स्थान पर गांव बसाने का निर्णय लिया। अगले ही वर्ष 36 एकड़ ज़मीन चिन्हांकित कर राजधानी भोपाल से इंजीनियर बुलवाकर गांव का मास्टर प्लान तैयार कराया गया।
इस योजना में—
40 फीट चौड़ी सड़कें,
20 फीट की नालियां,
स्कूल, खेल मैदान, मंदिर, श्मशान घाट,
ड्रेनेज सिस्टम और आवासीय सेक्टर शामिल थे।
प्रत्येक परिवार के बेटों को अलग-अलग प्लॉट आबंटित किए गए और स्वावलंबन को बढ़ावा देने के लिए एक समिति बनाई गई, जो आज भी सक्रिय रूप से कार्यरत है।
70 साल से चल रही अनोखी समिति व्यवस्था
गांव की समिति आज भी—
मूलभूत सुविधाओं जैसे बिजली, सड़क, स्कूल का खर्च उठाती है।
अब तक ₹1 करोड़ से अधिक विकास कार्य करवा चुकी है।
समिति के पास ₹30 लाख से अधिक की जमा राशि उपलब्ध है।
किसी गरीब परिवार के अंतिम संस्कार तक का खर्च समिति उठाती है।
शांति और सशासन का आदर्श
गांव में अपराध दर शून्य है। कोई विवाद होने पर समिति का निर्णय अंतिम होता है। आज तक थाने में एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
सरकारी मान्यता की ओर बढ़ता कदम
जिले के कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा ने हाल ही में गांव का निरीक्षण करने की बात कही है। उन्होंने इसे सम्मान एवं अवार्ड के लिए नामांकित करने का आश्वासन दिया है। इसके अतिरिक्त, छोटे उद्योगों के माध्यम से रोजगार बढ़ाने की योजना भी बनाई जा रही है।
✅ करेली छोटी आज केवल एक गांव नहीं, बल्कि एक मॉडल, एक प्रेरणा, और एक व्यवस्था का प्रमाण है कि मजबूत इच्छाशक्ति और सामाजिक समर्पण से कैसे किसी भी गांव को स्वावलंबी, आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाया जा सकता है।
यह गांव साबित करता है – यदि सोच सही हो और सहभागिता सशक्त हो, तो कोई भी गांव ‘खुशहाल भारत’ की नींव बन सकता है।