धमतरी| शनिवार को 15 रोजा हुआ। मुस्लिम भाई रमजान के इस मुबारक मौके पर तेज धूप और गर्मी की शिद्दत के बीच रोजा रखकर खुदा की इबादत कर रहे हंै। लॉकडाउन के चलते इस बार मस्जिदों के बजाए घरों में विशेष नमाज तरावीह भी अदा की जा रही है। घर-घर में कुराआन की तिलावत हो रही है। इफ्तार के समय आपसी भाईचारे की झलक दिखाई दे रही है।
रमजान के इस मुबारक महीने में मुस्लिम भाई रोजा रखकर अपना फर्ज अदा कर रहे हैं। घर-घर में कुरानपाक की तिलावत हो रही है। घरों में विशेष नमाज, तरावीह अदा की जा रही है। लोग अपने घरों में ही इफ्तार कर रहे हैं। रोजेदार हाजी तनवीर उस्मान, नजीर अहमद सिद्दिकी, मो. मुन्नाफ मो. युसूफ रजा ने बताया कि अल्लाह ताला का लाख-लाख एहसान है कि उसने हम पर अपने करम से रमजाऩ का
नन्हें-नन्हें रोजेदार
इस साल भी नन्हें-नन्हें बच्चे रोजा रख रहे हैं। फिजा बानो (५), साबिया रोकडिय़ा (१०), मोहम्मद अफराज मेमन (१२), अफराज बानो (१२), आफजा (८) ने बताया कि उनके अम्मी-अब्बू रोजा रख रहे हैं। उन्हें देखकर वे भी रोज रख रहे हैं। खुदा का शुक्र है कि रोजा के दरम्यान भूख और प्यास नहीं लगती। इबादत में दिल लगा रहता है। अल्लाह हमें इसका ईनाम जरूर देगा।
रोजा फर्ज है
हाजी सैय्यद हसन अली (बब्बू भाई), कारी अल्ताफ रजा, हाजी हारून उस्मान ने बताया कि रमजान के रोजे सन २ हिजरी में मदीना शरीफ मे फर्ज हुए। इस्लाम से पहले पिछली उम्मतों मे भी रोजे फर्ज़ थे। यह बात अलग है कि किसी उम्मत पर पूरे महीने का रोजा़ फजऱ् नही था। अल्लाहताला ने उम्मते रसूले अकरम स्वल्लाहो अलैहे वसल्लम पर पूरे एक महीने रमजान का रोजा फर्ज फरमाया। चूंकि यह उम्मत सारी उम्मतों से सबसे ज्यादा अफजल है, इसलिए इसकी आजमाइश भी सबसे ज्यादा है और उसी के हिसाब से इनाम भी सबसे बड़ा है।