इच्छाएं तो आकाश के सामान अंनत है जो है उसमें संतोष करें तो हमेशा प्रसन्न रहेंगे – प. पू. मधु स्मिता श्री जी म. सा.

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ऐसा कार्य करें कि हम प्रसन्न हो दूसरों को भी प्रसन्नता हो – प. पू. सुमित्रा श्री जी म. सा.

स्माईल प्लीज विषय पर दिया गया प्रवचन

धमतरी | चातुर्मास के तहत इतवारी बाजार स्थित पार्श्वनाथ जिनालय में प्रवचन जारी है। जिसके तहत  स्माईल प्लीज विषय पर प्रवचन दिया गया। प. पू. मधु स्मिता श्री जी म. सा. ने कहा कि स्माईल में पांच अक्षर है जो कि हमे जीवन का भाव सिखाता है। पहला एस से सटिसफेक्शन (संतोष) होता है, संपत्ति के लिए हमे कभी संतोष नहीं होता। जितना भी आए कम लगता है, भले परिवार छूट जाए भाग दौड़ करते रहते है। और इसी भाग दौड़ में शरीर खराब होता है फिर उसी पैसे को सेहत में खर्च करते है। चिंतन करें की संतोष हममें है या नहीं? इच्छाएं तो आकाश के सामान अंनत है। जो है उसमें संतोष आए तो तनाव नहीं आएगा। हर हाल में प्रसन्न रहना सीखे। दूसरा एम से मोराल होता है, हमारा जीवन में शीलसदाचार की भावना है तो जीवन में उत्कृष्ट बन सकता है। पहले अपने जीवन को सुधारने का प्रयास करे फिर समाज को सुधारने की ओर बढ़े। बच्चों को मोबाईल देकर उनका भविष्य खराब कर रहे है। चिंतन करें मोराल कैसे आ सकता है आधुनिकता के दौर में हमारा जीवन कंहा जा रहा है। आज रिश्तो की मर्यादा को ताक पर रखा जा रहा है। तीसरा आई इंटिलेजेंसी होती है, व्यक्ति बड़ा बड़ा शोध कर लेता है लेकिन उनके भीतर इंटिलेेंजेसी नहीं आ पाती ।

इंटिलेजेंसी से योग्यता आती है। सद्ज्ञान होगा तो सम्यक ज्ञान होगा फिर कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति होगी। एल से लव (प्रेम) होता है, चिंतन करे हमारे हृदय में कितना प्रेम समाहित है। भूलो के प्रायश्चित का भाव आता है तो आत्मा को साफ किया जा सकता है। माफ व साफ करने की भावना होनी चाहिए। व्यक्ति उपकारो को याद करते चला जाए तो एक समय में कृतज्ञता का भाव जीवन में आता है तो सब के प्रति प्रेम का भाव होगा कलह कलेश नहीं होगा। पांचवा ई इमोशन (संवेदनशीलता) होता है, हममें संवेदनशीलता होनी चाहिए। व्यक्ति संवेदनहीन हो रहा है इसलिए किसी के दुख में दुखी और सुख में सुखी नहीं होता। भगवान महावीर ने कहा था प्रत्येक जीव मात्र को जीने का अधिकार है सभी के प्रति दया का भाव रखे, मुस्कुराए, दूसरों को भी हसाएं। प. पू. सुमित्रा श्री जी म. सा. ने कहा कि हमारा जीवन में फूलो की तरह कोमल है हमे फूलो से प्रसन्नता की प्रेरणा लेनी चाहिए। जब जीवन में कोई चाह होती है और नहीं मिलने पर दुख होता है इसलिए इससे बचे भगवान की मूर्ति कभी दुखी नहीं दिखाई देती भगवान हमेशा हंसते नजर आते है भगवान हमे हमेशा खुशी व हंसी का प्रेरणा देते है। चित की प्रसन्नता आ जाये तो सबसे बड़ा उपहार होता है। हमारा जीवन अच्छा बने इसलिए हंसते रहना चाहिए ऐसा कार्य करें कि हम प्रसन्न हो दूसरों को भी प्रसन्नता हो। प्रवचन का श्रवण करने बड़ी संख्या में जैन समाजजन उपस्थित रहे।